निर्भीक कलम
जनपद पौड़ी में जिला पंचायत सभागार में नेशनलिस्ट यूनियन ऑफ जर्नलिस्ट्स पौड़ी इकाई के तत्वाधान में सूचना का अधिकार: वर्तमान परिदृश्य विषय पर गोष्ठी का आयोजन किया गया। जिसमें मुख्य अतिथि राज्य सूचना आयुक्त योगेश भट्ट तथा विशिष्ठ अतिथि जिला सूचना अधिकारी वीरेंद्र सिंह राणा व नेशनलिस्ट यूनियन ऑफ जर्नलिस्ट्स के प्रदेश अध्यक्ष त्रिलोक भट्ट ने दीप प्रज्वलित कर कार्यक्रम का शुभारंभ किया। कार्यक्रम में स्थानीय लोगों, मीडिया व विभिन्न विभागों के अधिकारियों की शिकायतों-सुझावों पर सुनवाई की गयी तथा विभिन्न पक्षों द्वारा उठाये गये बिन्दुओं पर स्पष्टता दी गई ।
शनिवार को आयोजित गोष्ठी में आयुक्त ने सूचना का अधिकार किस मंशा से बना था, वर्तमान में वह कितना सार्थक हुआ है व उसमें क्या-क्या सुधार की गुंजाइश है के बारे में बताया। उन्होंने सूचना के अधिकार की सफलता के बारे में बताया कि इस अधिनियम से बहुत से लोगों के उन बिन्दुओं का भी समाधान हुआ है जिसकी कहीं उनको उम्मीद की किरण नहीं बची थी। बहुत से लोगों ने इससे बदलाव महसूस किया है। सिस्टम को समय सापेक्ष जो सुधार करना था उसमें इसके चलते सुधार हो रहा है। इसलिए इस अधिनियम को सकारात्मक नजरिए से देखने की जरूरत है। कहा कि यह एक्ट आम आदमी को उसके वजूद का अहसास दिलाता है। इसके माध्यम से जिस व्यक्ति को लगता है कि उसके साथ व्यक्तिगत रूप से अन्याय हुआ है तो वह न्याय पा सकता है। साथ ही इससे सार्वजनिक हित भी दुरुस्त किया जा सकता है।
उन्होंने यह भी कहा कि हो सकता है कुछ लोग एक्ट की मंशा के विपरीत भी सूचना मांगते हैं ऐसी सूचना से बचा जाना चाहिए ताकि अधिनियम की मूल भावना बनी रहे। उन्होंने विभागीय अधिकारियों और सूचना प्रदाताओं से भी कहा कि सूचना को सहजता से लेना चाहिए और मैनुअल 17 के बिन्दुओं को प्रत्येक वर्ष ऑनलाइन स्पष्ट करना चाहिए। आयुक्त ने कहा कि यदि सूचना धारित न हो तो भी उसका कारण स्पष्ट कर देना चाहिए।
नेशनलिस्ट यूनियन ऑफ जर्नलिस्ट के अध्यक्ष त्रिलोक भट्ट ने सूचना के अधिकार को पोषित करने वाले व्हिसल, ब्लोअर, आरटीआई कार्यकर्ताओं के प्रयत्नों से अवगत कराते हुए कहा कि उनके प्रयासों से सूचना का अधिकार को अधिक प्रभावी बनाने में सहायता मिली है। इस दौरान जिला सूचना अधिकारी वीरेंद्र सिंह राणा ने सूचना के अधिकार अधिनियम को प्रभावी और प्रासंगिक बनाने के लिए सुझाव साझा किये। उन्होंने कहा कि सूचना के अधिकार को अधिक व्यावहारिक, प्रासंगिक और कारगर बनाने के लिए सूचना आवेदक और सूचना प्रदाता दोनों को सार्वजनिक हित न्याय के सिद्धांत और सरलता-सहायता से सूचना के अधिकार को लेने की आवश्यकता है। इसमें व्यक्ति विशेष जैसी नकारात्मकता से बचा जाना चाहिए तथा विकास के अंतिम छोर में बैठे व्यक्ति को मुख्यधारा में लाने की भावना से कार्य करना होगा। उन्होंने कहा कि बहुत से लोग सूचना विभाग और सूचना अधिकारी को सूचना आयोग का ही प्रतिनिधि समझते हैं और हमारे लिए सौभाग्य की बात है कि इसी के चलते हमें ऐसे आवेदकों के सही मार्गदर्शन करने का अवसर प्राप्त होता है। मंच का संचालन मनीष खुगशाल व मीनाक्षी रावत ने किया।
गोष्ठी में अग्निशमन अधिकारी अजेंद्र सिंह खाती, अधिशासी अधिकारी नगर पालिका गौरव भसीन, क्रिड़ा अधिकारी संदीप डुकलान, नागरिक कल्याण मंच के अध्यक्ष रघुवीर सिंह, नेशनलिस्ट यूनियन ऑफ जर्नलिस्ट्स अध्यक्ष पौड़ी जसपाल सिंह नेगी, महासचिव रतनमणी भट्ट, उपाध्यक्ष मुकेश सिंह, वरिष्ठ पत्रकार अनिल बहुगुणा, मनोहर बिष्ट, प्रमोद खंडूड़ी, मुकेश आर्य, जगमोहन डांगी, गणेश नेगी, करण सिंह, दीपक बड़थ्वाल, पुष्पेंद्र सिंह राणा सहित विभिन्न विभागों के अधिकारी व स्थानीय लोग उपस्थित थे।
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