निर्भीक कलम
देवभूमि विकास संस्थान और दून विश्वविद्यालय के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित दो दिवसीय कार्यक्रम ‘‘गंगधारा, एक अविरल प्रवाह’’ का समापन समारोह आज दून विश्वविद्यालय में संपन्न हुआ। कार्यक्रम में राज्यपाल लेफ्टिनेंट जनरल गुरमीत सिंह (से नि) ने मुख्य अतिथि के रूप में प्रतिभाग किया, जबकि केरल के राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खान ने मुख्य वक्ता के रूप में अपने विचार प्रस्तुत किए। इस अवसर पर राज्यपाल ने परिसर में लगी स्थानीय उत्पादों की प्रदर्शनी का अवलोकन किया और स्थानीय उत्पादकों से जानकारी ली।
राज्यपाल लेफ्टिनेंट जनरल गुरमीत सिंह (से नि) ने अपने संबोधन में कहा कि जिस प्रकार गंगा का प्रवाह अनादिकाल से जीवन का आधार रहा है, उसी प्रकार यह व्याख्यान माला भी ज्ञान और विचारों के प्रवाह को आगे बढ़ाकर सामाजिक समस्याओं के समाधान के लिए नई दिशा प्रदान करेगी। उन्होंने कहा कि इस प्रकार के मंथन और संवाद से समाज की चुनौतियों के स्थायी समाधान निकलेंगे, जो राज्य और राष्ट्र के विकास में सहायक सिद्ध होंगे। उन्होंने भारत को 2047 तक विकसित राष्ट्र बनाने के लक्ष्य की ओर ध्यान आकर्षित करते हुए नागरिकों को अपने कर्तव्यों और जिम्मेदारियों का ईमानदारी से निर्वहन करने का आह्वान किया। उन्होंने कहा कि एआई और तकनीकी नवाचारों को अपनाकर हम अपने लक्ष्यों को तेजी से प्राप्त कर सकते हैं।
राज्यपाल ने भ्रष्टाचार और नशे के खिलाफ सख्त कदम उठाने की आवश्यकता पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि भ्रष्टाचार हमारी प्रगति और विकास में बाधक है, और इसकी चैन को तोड़ना बेहद जरूरी है। उन्होंने नशे और ड्रग्स के सेवन की चुनौती से भी सामूहिक रूप से लड़ने का आह्वान किया और कहा कि सभी की यह जिम्मेदारी है कि ड्रग्स के खिलाफ एकजुट हो जाएं।
कार्यक्रम के मुख्य वक्ता केरल के राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खान ने भारतीय संस्कृति की समावेशिता और ज्ञान परंपरा पर प्रकाश डाला। उन्होंने भारतीय मूल्यों की प्रशंसा करते हुए कहा कि भारतीय संस्कृति हमेशा समाज और मानवता के कल्याण पर आधारित रही है। भारतीय संस्कृति पर बोलते हुए कहा कि भारतीय संस्कृति समावेशी है जो ज्ञान और प्रज्ञा के संवर्धन के लिए जानी जाती है। उन्होंने महिलाओं की समान भागीदारी पर बल देते हुए कहा कि हमारी संस्कृति में महिलाओं को सदैव उच्च स्थान प्राप्त है।
पूर्व मुख्यमंत्री और सांसद त्रिवेंद्र सिंह रावत ने देवभूमि विकास संस्थान और दून विश्वविद्यालय के प्रयासों की सराहना की। उन्होंने इस कार्यक्रम को भविष्य में भी जारी रखने की आवश्यकता पर बल दिया। दून विश्वविद्यालय की कुलपति प्रो. सुरेखा डंगवाल ने कार्यक्रम की सफलता पर प्रसन्नता व्यक्त करते हुए सभी अतिथियों और प्रतिभागियों का धन्यवाद किया। कार्यक्रम में दधीचि देहदान समिति के सदस्यों को उनके कार्यों के लिए सम्मानित किया गया।
इस अवसर पर कई गणमान्य व्यक्ति, शिक्षाविद, शोधकर्ता, छात्र और समाज के विभिन्न वर्गों के प्रतिनिधि उपस्थित रहे।
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